बोकारो। विगत 47वर्षों में अर्जित समृद्धि और प्रचूर सफलता एवं नयी आशा लिए चिन्मय विद्यालय का 48वाँ स्थापना दिवस पूरी भव्यता के साथ संपन्न हुआ। 19 अगस्त 1977 को इस विद्यालय की शुरुआत सेक्टर 1/बी के एक गराज से हुई थी और आज भारत के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों का शिरमौर बना हुआ है। झारखंड का एक मात्र नाबेट एक्रीकेटेड विद्यालय है, चिन्मय विद्यालय, बोकारो। गीत संगीत, नृत्य एवं शैक्षिणक उपलब्धियों से भरे उत्सव की मुख्य अतिथि परम पूज्य स्वामिनी संयुक्तानंद सरस्वती, अन्य विशिष्ठ गणमाण्य अतिथि थे, विश्वरुप मुखोपाध्याय (अध्यक्ष विद्यालय प्रबंधन समिति), सूरज शर्मा (प्राचार्य), आर एन मल्लिक (कोषाध्यक्ष), डाॅ अशोक सिंह (भूतपूर्व प्राचार्य) एवं नरमेन्द्र कुमार (उप-प्राचार्य), मुख्य अतिथि सहित सभी विशिष्ठ अतिथि को प्राचार्य सूरज शर्मा ने गुलदस्ता भेंट देकर स्वागत किया। जबकि उप-प्राचार्य ने सूरज शर्मा का पुष्प गुच्छ भेंट देकर स्वागत किया एवं उप-प्राचार्य को रश्मि शुक्ला प्रभारी प्राइमरी विंग ने पुष्प गुच्छ का भेंट देकर स्वागत किया। इस औपचारिकता के बाद सभी गणमाण्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। नन्हें-नन्हें बच्चों द्वारा मनमोहक स्वागत-गान की प्रस्तुति के बाद प्राचार्य सूरज शर्मा छात्र-अभिभावकों के उपस्थित समूह का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि आज का दिन हमारी सफलता से परिपूर्ण स्वर्णिम यात्रा का एक अहम पड़ाव है। 48वें विद्यालय स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामना। आप सभी के प्रयास, संघर्षशीलता, दृढ़-प्रतिज्ञा एवं सफलता का एक विलक्षण साक्षी है। इन वर्षों में विद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में एवं नैतिक मूल्यों के विकास के क्षेत्र में अप्रतिम सफलता हासिल किया है। इसके छात्र चाहे युपीसीई हो, वीपीएसई हो, आई आई टी। जेइई हो या नीट या फिर अन्य प्रतियोगिता परीक्षा हो, सभी में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। इसके पीछे लगे हम सभी शिक्षक प्रबंधन एवं अभिभावकों के सामूहिक प्रयास के परिणाम हैं। मैं आज परमपूज्य स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती को हृदय से स्मरण करते हुए इस विद्यालय के विकास में सभी संतों एवं शिक्षाविदों के योगदान को स्वीकार करते हुए अपना अभिवादन समर्पित करता हूँ और आशा करता हूँ कि विद्यालय अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए निश्चित ही सरपट गति से आगे बढ़ता जाएगा, जो हम आज हैं, वो कल हम इससे बेहतर होते चले जाएंगें। वैश्विक दृष्टि का तड़का लिए समग्र-राष्ट्रवाद को छटा विखेरता दिखा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विध्नहर्ता गणेश की आराधना से शुरु नृत्य गीत-संगीत कार्यक्रम पूरा रसमय था, एवं अनोखापन लिए हुए था जिसमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों के नृत्य की झलक थी, झारखंड राज्य के आदिवासी नृतय की मोहक झलक थी तो सेक्सपियर के नाटक का तड़का भी था। यह कार्यक्रम अध्यात्म से परिपूर्ण, समन्वयात्म, राष्ट्रवादी होते हुए वैश्विक दृष्टि के पड़ाव पर पहुँचा।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि परम पूज्य स्वामिनी संयुक्तानंद सरस्वती (आचार्या चिन्मय मिशन बोकारो) ने सम्बोधित किया और राष्ट्र तथा विशेष कर कोलका की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि – शिक्षा का उद्देश्य आजकल उच्च अंक, मेडल एवं अच्छी नौकरी तक ही सीमित रह गया है। छात्रों में उच्च मानवीय मूल्यों का विकास नहीं हो रहा है। ऐसी शिक्षा का क्या मतलब जो शिक्षित होकर भी समाज के लिए कष्टदायक हो जाते हैं। फूलों की उपयोगिता तभी है, जब वह अपने सुगंध से वातावरण में उपस्थित सभी जीवों का मन-मोहे। इसी प्रकार शिक्षा का उद्देश्य केवल और केवल मानव-कल्याण होना चाहिए। और यह तभी संभव है जब सर्वोच्च नैतिक मूल्यों का विकास कर छात्रों का चरित्र निर्माण हो।115 छात्र-छात्राओं को सम्मान – इस अवसर पर कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि ने 115 छात्र-छात्राओं को उनकी उल्लेखनीय शैक्षिणक उपलब्ध्यिों के लिए (सत्र 2023-2024), प्रमाण पत्र, स्वर्ण एवं रजत पदक तथा मेडल देकर सम्मानित किया, एवं उनका उत्साहवर्धन किया ताकि उनकी सफलता और बड़ी हो। कार्यक्रम का अंत विद्यालय-गान से हुआ। विद्यालय छात्र-परिषद के अभिनव सिंह, कुणाल आनंद, ईशा भारती, सताक्षी एवं अन्य सदस्यों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग किया। इस अवसर पर आमंत्रित गणमाण्य अतिथि के अलावा विद्यालय के सभी विंग के प्रभारी एवं उप-प्रभारी एवं शिक्षेकतरगण उपस्थित थे।