बोकारो।अगस्त महीने के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप मे मनाया जाता है, लगभग 120 से अधिक देश विश्व स्तनपान सप्ताह मनाते है. 1992 में ब्रेस्ट फीडिंग सप्ताह की शुरूआत हुई थी, और WABA,WHO और UNICEF के द्वारा इसका आयोजन होता है I विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत आज दिनाँक 01 अगस्त को बी.जी.एच. में भी डॉ.इंद्रनील चौधरी के मार्गदर्शन में कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत बी.जी.एच. के नर्सिंग स्कूल के छात्रों द्वारा तैयार किए गए पोस्टर, और मॉडल के उद्घाटन के साथ हुआ. कार्यक्रम में डॉ स्मिता शेखर ,डॉ रीता तिर्की तथा डॉ रामानुज शर्मा के द्वारा बताया गया कि नवजात शिशुओं के लिए माँ का दूध ही सब से सर्वोत्म आहार है. शिशु जन्म के पहले घंटे में ही स्तनपान कराना चाहिए, कोई अनाज या पानी बिल्कुल नहीं देना चाहिए. शिशुओं के लिए स्तनपान के अनेक फायदे हैं जैसे रोगप्रतिरोधक शक्ति बढाना, पोषक आहार मिलना इत्यादि. इस वर्ष के लिए वर्ल्ड अलायंस फ़ॉर ब्रेस्ट फीडिंग एक्शन (WABA) निर्धारित थीम है ‘क्लोजिंग द गैप- ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल’. इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान एवं अपने दैनिक कार्य को दृढ़तापूर्वक एक साथ करने का समर्थन देता है कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना, साथ ही कार्यालयों मे भी इस प्रकार का माहौल बनाना ताकि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो.माँ का दूध असानी से पचता है, सुदृढ़ विकास के लिए उपयुक्त है, शिशु को मोटापा, सांस की बीमारियों निमोनिया, एलर्जी और अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियों से बचाता है I शिशुओं को जन्म से छ: माह तक केवल माँ का दूध पिलाने के लिए, महिलाओं को इस सप्ताह के दौरान विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है.विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम प्रसूति एवं स्त्री रोग और बाल रोग ओ.पी.डी. तथा वार्डों में आयोजित किया गया। कई दम्पतियों को स्तनपान के बारे में जानकारी जुटाते और ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का लाभ उठाते देखा गया|